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आज़ादी का जश्न

আর্কিমিডিস গামছা পরে চৌবাচ্চায় না ঢুকলে কি অমন সত্যটা বেরিয়ে আअपने खून से खीचीं हैं लकीरें
ऐ लोगों न तुम उसे भूला देना
ये तिरंगा तीन रंगों का बना भले है
इसमें हमारी याद भी मिला लेना ।সত? এ হলো জাগতিক নিয়ম। রোগ ঢুকলে টাকা বেরিয়ে যাবে। আবার ওষুধ ঢুকলেই রোগ বেরোবে,

Guru-Hindi poem on Gurupurnima by sailendra kumar singh at pandulipi.net
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गुरु

शैलेन्द्र सिंह ग्राफिक्स: अभिनंदन नंदा जिसके होने से तम दूर होताजग में चहुँ ओर फैलता उजाला हैवह हम सबका प्रिय गुरु ही हैसंसार के समस्त ज्ञान का रखवाला ।जिसके आगे सबका शीश झुकताजिसके दर्शन से मन में फैलता उजाला हैवह संसार में एक श्रेष्ठ गुरु ही हैहमारे मन, जीवन का…

Pita-by-Sailendra-kr-Singh-at-pandulipi.net
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पिता

पिता
हमारे दो सशक्त पैर
हमें मंजिल की ओर बढ़ाता
हर संकट हरकर
लेता हर बाधाओं से बैर ।

Janwar-Aur-Manushya-by-Sailendra-Kr-Singh-at-pandulipi.net
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जानवर और मनुष्य

सब कुछ, स्वर्ग-सा सुख
पाने की चाह ने “शैलेन्द्र”
शायद तुम्हे बनाया है बेईमान
मै बेजुबान तुम बुद्धिमान !

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मित्रता

मित्रता लेखनी : शैलेन्द्र कुमार सिंह ग्राफ़िक्स : सुमन शुकला सुख – दुःख में जो साथ देता मुस्कराकर हमेशा मिलाता हाथ है मित्र एक अनुपम निधि है मित्रता विधाता की सौगात है। कभी सूरज बन साथ बढ़ता मिटाता जीवन का हर अंधकार है मित्र है जीवन की संजीवनी मित्रता जीने…

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और कब तक … ?

और कब तक … ? लेखक : शैलेन्द्र कुमार सिंह ग्राफिक्स : निकोलस और कब तक इस मिट्टी के साथ गद्दारी करोगे इस मिट्टी मे जन्म लिए हो तो कब वफादारी करोगे ? मत भूलों की मिट्टी हवा पानी आग का कोई मजहब नही होता बैर इनसे करके तुम कैसे…