
और कब तक … ?
लेखक : शैलेन्द्र कुमार सिंह
ग्राफिक्स : निकोलस
और कब तक इस मिट्टी के साथ गद्दारी करोगे
इस मिट्टी मे जन्म लिए हो
तो कब वफादारी करोगे ?
मत भूलों की मिट्टी हवा पानी आग का कोई मजहब नही होता
बैर इनसे करके तुम कैसे
कूच करने की तैयारी करोगे !
इंसान पहले बनो
बाद में तुम हिन्दू मुसलमान बनना
धर्म के नाम पर बाँटने वालो इंसान से तुम कब यारी करोगे ?
वक्त जानता है कि तुमने हमेशा अपने स्वार्थ में ही जीवन जिया
अब तो चेत जाओ ‘शैलेन्द्र’
कब तक इंसानियत पर
भारी पड़ोगे !
Jai hind
Bharat mata ki jay.
सही कहा । अब तो जी घोलता है। खुदको टटोलने का वक़्त आ गया। भ्रातबसी जागो।।
लेखक शैलेन्द्र जी को शुवकामनाये। क्या खूब लिखा। कब तक इंसानियत पर वरि पड़ोगे।
में इस वेबसाइट का नियमित पाठक हु। इस से पहले कवि हिंदी में साहित्य न मिला। पहली वर पढ़ रहा हु। पांडुलिपि वेबसाइट को बहत शुवकामनाये। ये उद्योग प्रसंशनीय है।
लेखक शैलेन्द्र जी को मेरा सलाम। दिल को छू गया।
मे न्यू जिलण्ड में यहाँ की मेरा कुछ भारीतय दोस्तों को पढ़ाया।
ऐसे लिखते रहे।।
Nice bro. Patriotism in all aspect.
Wow. Nice piece of writing.
খুব ভালো লাগলো হিন্দি যুক্ত হওয়ায়। রাষ্ট্র ভাষা ও স্থান পাক
मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आप सबका तहेदिल से शुक्रिया ।आपके लिए मेरी दो बातें –
आपका साथ जब तक बना रहेगा
हम आग के दरिया से भी गुजर जायेंगे
यह सच है कि आपके बिना हम
एक पल भी नही रह पायेंगे ।
Like!! I blog quite often and I genuinely thank you for your information. The article has truly peaked my interest.