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मित्रता
लेखनी : शैलेन्द्र कुमार सिंह
ग्राफ़िक्स : सुमन शुकला
सुख – दुःख में जो साथ देता
मुस्कराकर हमेशा मिलाता हाथ है
मित्र एक अनुपम निधि है
मित्रता विधाता की सौगात है।
कभी सूरज बन साथ बढ़ता
मिटाता जीवन का हर अंधकार है
मित्र है जीवन की संजीवनी
मित्रता जीने की आश है।
कभी सहेली कभी पहेली
कभी शह कभी मात है
मित्र है ‘शैलेन्द्र’ रूह का शकुन
मित्रता एक बिश्वास है।
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